आज मन उदास है : ज्योतिषीय कारण और निवारण

आज मन उदास है
उदास मन

क्या आपका भी आज मन उदास है,किसी भी काम में मन नहीं लग रहा ? ना तो किसी से मिलने का मन हो रहा है ना बात करने का ? बिना वजह कभी कभी सबके साथ ऐसा होता है

सभी सनातनी हिन्दू भाई बहनों को पंडित योगेश वत्स का राम राम ! मैं अपने धर्म अध्यात्म और ज्योतिष के ब्लॉग पर आप सभी मेहमानों का दिल से स्वागत करता हूँ । जो भी भाई बहन देश से बाहर से इस लेख पर आए हैं उनका भी बहुत बहुत स्वागत है ।

आज मन उदास है, यह बात अक्सर सभी के साथ अक्सर होती रहती है,अगर हम विचार करते हैं और सोचते हैं कि मन में अचानक क्यों ये उदासी छा गई है, कभी कभी तो हम रात को अच्छे मन से सोते हैं लेकिन जब हम सुबह जागते हैं तो जागते ही मन बोझिल सा लगने लगता है । किसी किसी को यह कभी कभी महसूस होता है मगर किसी किसी को अक्सर इन हालातों से जूझना पड़ता है । अचानक कोई भी किसी भी बाहरी कारण से तो दुखी हो नहीं सकता है । इस लेख में बाहरी कारणों से होने वाले दुख या अवसाद की बात नहीं करूंगा इस लेख में सिर्फ अचानक से होने वाले दुखी मन पर बात करूंगा ।

मेडिकल साइंस के अपने अलग कारण हो सकते हैं और उसके इलाज भी अलग हो सकते हैं लेकिन मैं इस लेख में सिर्फ ज्योतिष विज्ञान के कारण और उसके निवारण पर बात करूंगा । मन की उदासी का क्या कोई ज्योतिषीय कारण भी हो सकता है ? जी बिलकुल, सिर्फ हो नहीं सकता होता ही है ।

हमारा मन क्या है ?

यह शरीर मन का गुलाम है । हमारा मन ही हमें नियंत्रित करता है, बहुत ही कम लोग सिर्फ दिमाग से नियंत्रित होते हैं या जो कहते हैं कि वो सिर्फ दिमाग की सुनते हैं । समान्यतः लोग दिल की सुनते हैं और मन से चलते हैं,यह कितना व्यवहारिक है इस विवाद में नहीं पड़ना चाहता लेकिन ज़्यादातर लोग जीते इसी प्रकार से हैं ।

ज्योतिष में मन का प्रतिनिधित्व चंद्र देव के पास है । मन का मालिकाना हक चंद्रमा के पास है, चंद्रमा से ही हमारी राशि का निर्धारन होता है इसलिए आप समझ सकते हैं नव गृह में चंद्रमा कितना महत्व पूर्ण है । चंद्रमा महत्वपूर्ण है तभी हमारा मन भी बहुत महत्वपूर्ण है,तभी कहा जाता है मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।

इस संघर्षपूर्ण जीवन में अगर मन स्वस्थ नहीं होगा,प्रसन्नचित्त नहीं होगा तो हम जीवन में विजय कैसे प्राप्त कर सकते हैं । इसलिए अपने मन का हमेशा ख्याल रखना जरूरी है ।

आज मन उदास है : ज्योतिषीय कारण

मन की उदासी के कारण को मैं दो भागों में बांटना चाहूँगा, पहले भाग में उन लोगों की चर्चा करूंगा जो लोग अक्सर उदास रहते हैं,जिनको अकेला रहना ज्यादा पसंद होता है, पसंद होना भी कहना ठीक नहीं रहेगा वो अकेले ही रहते हैं चाहे अनचाहे । कुछ लोगों के चेहरे पर उदासी स्थाई भाव से जम सी जाती है । कितना भी खुशी का मौका हो वह खुश नहीं हो पाते ।

दूसरे प्रकार के वो लोग होते हैं जिनको कभी कभी अचानक से उदासी घेर लेती है, वो समझ भी नहीं पाते ऐसा क्यों होता है । कभी कभी वो डर भी जाते हैं कहीं वो डिप्रेशन की तरफ तो नहीं बढ़ रहे ।

उदासी का स्थिर भाव :

जैसा कि मैंने ऊपर कहा कि मन का कारक चंद्रमा है । मन तभी दुखी होगा जब चंद्रमा पीड़ित होगा, जिनकी भी जन्मकालीन कुंडली में चंद्रमा पीड़ित अवस्था में है वो लोग स्वभावतः दुखी रहते हैं । चंद्रमा पीड़ित तभी होता है जब किसी पापी गृह के प्रभाव में हो खास तौर पर शनि और राहू के । अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा शनि के साथ है या शनि की दृष्टि चंद्रमा पर है तो आप यह मान कर चलें आप हमेशा दुख के साये में रहते हैं । शनि को दुख कारक बोला गया है इसलिए वो अपना मूल प्रभाव तो छोड़ेगा ही और मन को खराब करेगा ही

जिन लोगों के प्रथम भाव में चंद्रमा हो या फिर जिनका लग्नेश चंद्रमा बनता हो जैसे कर्क राशि/लगन, उनके प्रथम भाव में शनि के होने पर या प्रथम भाव पर शनि की दृष्टि होने पर दुख का स्थाई भाव उनके जीवन में देखने को मिलता है ।

साढ़े साती प्रभाव :

साढ़े साती का मुख्य प्रभाव चंद्रमा यानि मन पर ही पड़ता है, जिन लोगों पर भी साढ़े साती चल रही होती है उनको भी साढ़े साती के साथ ही दुख घेर लेता है भले ही उनके लिए साढ़े साती लाभ दायक हो तब भी मन में दुख लगा ही रहता है । जब तक साढ़े साती चलती है तब तक मन को अच्छा रखना मुश्किल होता है ।

उदासी का अस्थाई भाव :

यह लेख का वो बिन्दु है जिसके लिए ये लेख लिखा गया : आज मन उदास है – यह एक अस्थाई भाव होता है जब चंद्रमा गोचर वश घूमते हुए जब किसी भी पापी गृह के ऊपर से निकलता है या फिर कुंडली के अशुभ भावों से गोचर करता है तो मन खराब होता है ।

चंद्रमा की गति तेज होती है और वह एक राशि में सवा दो दिन ही रहता है इसीलिए जब गोचर वश चंद्रमा पाप प्रभाव में आता है तो दो तीन दिन तक तो मन खराब रहता है फिर अपने आप ठीक हो जाता है । ऐसी स्थित में ज्यादा परेशान नाही होना चाहिए बस मन को अध्यात्म में लगाएँ या मेडीटेशन करें,ॐ नमः शिवाय का जाप चलते फिरते करते रहें बेवजह की चिंताएँ ना करें अपने आप दो दिन बाद मन ठीक हो कर पुनः ऊर्जावान हो जाएगा ।

चंद्रमा के उपाय : मन को ठीक रखने के उपाय :

  • घर में पानी की बरबादी रोकें,घर में कहीं भी नल टपकते हों तो तुरंत ठीक कराएं
  • काले,नीले,ग्रे रंगों का बिलकुल प्रयोग ना करें ।
  • ज्यादा से ज्यादा सफ़ेद कपड़े पहनें या फिर हमेशा जेब में सफ़ेद रुमाल रखें ।
  • हर पूर्णमासी की रात चंद्रमा को दूध मिश्रित जल से अर्घ्य दें ।
  • हर सोमवार को भोलेनाथ के मंदिर जा कर शिवलिग पर जल दें ।
  • रात को अपने सिरहाने काँच के बर्तन में पानी भर कर रखें,सुबह याद से गमले में दाल दें,दिन में भरा न रखा रहे ।
  • जिनके ऊपर साढ़े साती चल रही है वो शनि के उपाय करें,साढ़े साती पर यहाँ लेख पढ़ सकते हैं ।
  • अपने ज्योतिष को दिखा कर मोती धारण करें ।

चलते चलते अपनी बात :

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