भगवान इच्छा पूरी क्यों नहीं करते ? 1 Unsolved Mystery

भगवान इच्छा पूरी क्यों नहीं करते ? यह सवाल हर व्यक्ति के मन में कभी ना कभी आता ही है भले वो आस्तिक हो या नास्तिक । चाहे वो गरीब हो या अमीर । हर इंसान के मन में कुछ ना कुछ अतृप्त,अपूर्ण कामनाये होती ही हैं । यह वही इच्छायें होती हैं जो हमें खुद मालूम होती हैं कि या तो वो आसानी से पूरी नहीं होने वाली या हम उसके पूर्ण रूप से अधिकारी नहीं ।

नमस्कार,राम राम !!! मैं पंडित योगेश वत्स सभी सनातनी भाई बहनों का अपने ब्लॉग में स्वागत करता हूँ । जिन भी भाई बहनो को वैदिक ज्योतिष,धर्म अध्यात्म में रुचि है,जो नियमित इस पर लेख पढ़ना चाहते हैं वो पेज के Subscription Bell को दबा कर Notification को Allow कर सकते हैं ।

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चलिये अब मुख्य विषय पर आते हैं ।

भगवान इच्छा पूरी क्यों नहीं करते ? इस सवाल का जबाब दो माध्यम से देने की कोशिश करूंगा ।

सबसे पहले एक बात यह सवाल उन्हें ही करने का अधिकार है जो भगवान में श्रद्धा रखते हैं, जिन्हे अपने ईष्ट पर विश्वास है । जिन लोगों को भगवान के अस्तित्त्व पर ही संदेह है उन्हे इस सवाल को उठाने का हक भी नहीं ।

इस सवाल के जबाब को दो तरह से आप भक्तों के सामने रखना चाहूँगा,पहला जबाब आद्यत्मिक होगा दूसरा जबाब ज्योतिषीय होगा ।

भगवान इच्छा पूरी क्यों नहीं करते ?

आध्यात्मिक जबाब :

जब भी मेरे मन में कोई सवाल या शंका जन्म लेती है तो मैं उसके जबाब के लिए श्री रामचरितमानस की शरण लेता हूँ,रामचरितमानस सभी शास्त्रों का निचोड़ है और आज के युग में संस्कृत भाषा का ज्ञान सीमित लोगों को है तो आम जनमानस वेद शास्त्र तो पढ़ नहीं सकता लेकिन वेदों के विकल्प के रूप में हमारे पास सर्वसुलभ और सरल रामचरितमानस उपलब्ध है तो इसी से इस सवाल का जबाब रामचरितमानस में ही खोजते हैं ।

बालकांड रामायण दोहा :

भगवान इच्छा पूरी क्यों नहीं करते

 

कह मुनीस हिमवंत सुनु जो बिधि लिखा लिलार।
                   देव दनुज नर नाग मुनि कोउ न मेटनिहार॥     दो0 68

भावार्थ : 

मुनिवर (नारद जी ) कहते हैं : हे हिमवान्‌! सुनो, विधाता ने ललाट पर जो कुछ लिख दिया है, उसको देवता, दानव, मनुष्य, नाग और मुनि कोई भी नहीं मिटा सकते ।

यह उस समय का प्रसंग है जब पर्वत राज हिमालय के यहाँ माँ पार्वती का जन्म हो चुका होता है तब पार्वती माँ के माता पिता नारद जी से पार्वती जी का भविष्य बताने को कहते हैं । नारद जी बताते हैं कि पार्वती जी का वर कैसा और कौन होगा । पार्वती के माँ बाप जब भगवान शकर का वेश भूषा और भूत प्रेतो के बारे में सोचते हैं तो  दुखी हो जाते हैं तब नारद जी उन्हे समझाते हैं ।

इसका मतलब यही है जो भाग्य में लिखा है वह मिटाया नहीं जा सकता । भगवान इच्छा पूरी क्यों नहीं करते ? इसका एक जबाब तो यही है अगर हम अपने भाग्य में वह इच्छा जो हम भगवान से पूरी करने को कहते हैं, वह हम अपने भाग्य में लिखा कर नहीं लाये हैं,तो वह कैसे पूर्ण हो सकती है, और ऐसा नहीं है कि भगवान ने जानबूझ कर वह इच्छा हमारे भाग्य में नहीं लिखी है ।

भगवान इच्छा पूरी क्यों नहीं करते : जानें प्रारब्ध का रोल

भाग्य आपका और कुछ नहीं आप का प्रारब्ध है । प्रारब्ध और कुछ नहीं हमारे वर्तमान कर्म हैं जो संचित हो रहे हैं वही हमारे अगले जन्म में प्रारब्ध का रूप लेंगे । वर्तमान में हमें जो कुछ मिल रहा है वो पिछले जन्मों के प्रारब्ध के कारण है । प्रारब्ध एक जन्म के कर्मों से नहीं बनता पिछले कई जन्मों के फल हम इस जन्म में भोग रहे होते हैं । अगर हमारे पिछले जन्मों के फल हमारी इच्छापूर्ति में सहायक होंगे तो हमारी वह इच्छा जरूर पूरी होगी ।

भगवान ना कुछ देता है ना लेता है वह सिर्फ यह देखता है जो हमने किया वो हमें मिल रहा कि नहीं चाहे वो अच्छा हो या बुरा । जिनको अच्छा मिल रहा है वह उनको तब तक मिलता रहेगा जब तक उनके संचित पुण्य समाप्त नहीं हो जाते । जिनको खराब मिल रहा है उनको भी तब तक मिलता रहेगा जब तक उनके संचित पाप कर्म समाप्त नहीं हो जाते भले उनमें एक जन्म लगे या और ।

पारब्ध के बारे में विस्तार से पेज पर लिखा हुआ है जो भी भक्त पढ़ना चाहें वह यहाँ Click कर पढ़ सकते हैं लेकिन पहले यह लेख पूरा पढ़ लें ।

भगवान इच्छा पूरी क्यों नहीं करते ? ज्योतिषीय जबाब

भगवान इच्छा पूरी क्यों नहीं करते,इसका जबाब ज्योतिष में भी मिलता है ।

मैं हमेशा से यह कहता रहा हूँ की आप की कुंडली आपके पूर्व जन्म की Balance Sheet हैं वही आपके पूर्व जन्म का लेखा जोखा है ।

आपके पैदा होते समय ही आपकी कुंडली का निर्माण हो जाता है,दूसरी तरह से कहूँ तो ऐसे भी कह सकता हूँ कि आप को इस जनम में क्या क्या भोगना है उसके हिसाब से जब गृह नक्षत्र बनते हैं तभी आप पैदा होते हैं,इस तरह से हम कह सकते हैं हमारे पैदा होने का समय और हमारी कुंडली पहले से हमारे पूर्व कर्मो से निर्धारित है । जब गृह,नक्षत्र,योग और दिन उस हिसाब से हो जाएँगे तो हमें जन्म मिल जाएगा,उसी हिसाब से कुंडली का निर्माण हो जाएगा ।

हमारी कुंडली में 11वां घर हमारी इच्छाओं का, इच्छा पूर्ति का होता है,जिसकी भी कुंडली में यह घर मजबूत और शुभ प्रभाव में होता है वह जो भी इच्छा करता है वह इच्छा उसकी पूरी हो जाती है । 11वें घर को लाभ भाव भी कहते हैं जो हमारे पूर्व और वर्तमान कर्मों के लाभ को दर्शाता है ।

अगर 11वें भाव में पाप गृह बैठे हैं या यह घर पापी ग्रहों के द्वारा देखा जा रहा है तो आपकी इच्छापूर्ति में हमेशा बाधा रहेगी । जब भी वह गृह कुंडली में प्रभावी होंगे तो जो आप चाहोगे वह नहीं होगा ।

भगवान इच्छा पूरी क्यों नहीं करते : निष्कर्ष

भगवान इच्छा पूरी क्यों नहीं करते,इसका जबाब मेरे दृष्टि से यही है कि हमें जो मिलना है वह हमारे कर्मों से मिलना है चाहे वह पूर्व जन्म के कर्म हों या वर्तमान जन्म के ….. । हमें भगवान को दोष नहीं देना चाहिए बस भगवान पर श्रद्धा रखो,उन पर विशवास रखो कि वह वही करेंगे जो आप के हित में होगा । वह सब कुछ जानते हैं कि आप को क्या चाहिए,क्या आपके लिए बेहतर, तो उनसे विनय करते रहिए ।

बाल कांड रामायण चौपाई : 

भगवान इच्छा पूरी क्यों नहीं करते

सो तुम्ह जानहु अंतरजामी। पुरवहु मोर मनोरथ स्वामी॥

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