रामायण प्रसंग : पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं

रामायण प्रसंग

रामायण प्रसंग में आज भगवान श्री राम के जन्म के समय का प्रसंग ले रहा हूँ । भगवान के पैदा होने से पहले और पैदा होने के बाद क्या क्या संकेत मिलने लगे थे और वर्तमान में हमें राम जन्म के प्रसंग से क्या सीख और प्रेरणा मिलती है । पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं यह एक बहुत ही प्रचलित लोकोक्ति या मुहावरा है जिसका अर्थ होता है कि किसी के वर्तमान के लक्षण देख कर ही उसके भविष्य के संकेत मिल जाते हैं । भगवान राम के पैदा होते ही समझ में आने लगा था कि वो और कोई नहीं परमपिता परमेश्वर हैं ।

मैं पंडित योगेश वत्स पेज पर आने वाले सभी सनातनी हिन्दू भाई बहनों का बहुत बहुत स्वागत करता हूँ । जो मेहमान पेज पर भारत की धरती से दूर से जुड़ रहे हैं उनका भी दिल से बहुत बहुत स्वागत है ।

रामायण प्रसंग : रामचरितमानस बालकांड चौपाई :

एक बार भूपति मन मांही । भै गलानि मोरे सुत नाहीं ।।

गुर गृह गयउ तुरत महिपाला। चरन लागि करि बिनय बिसाला।।

रामायण बालकांड चौपाई अर्थ सहित :

एक बार महाराजा दशरथ के मन में ग्लानि उत्पन्न हुई कि उनके कोई पुत्र नहीं है । वह तुरंत अपने गुरु के घर गए और चरणों में प्रणाम करके गुरु से बहुत विनय की ।

यहाँ तुलसीदास जी ग्लानि शब्द का उपयोग करते हैं चिंता का नहीं । किसी के भी अगर कोई संतान नहीं होती है तो उसे चिंता होती है कि शादी को इतना समय हो गया है या फिर मेरी अपनी इतनी उम्र हो गई लेकिन मेरे अभी तक कोई संतान नहीं है अगर कोई राजा महाराजा हो तो उसकी चिंता और बड़ी होती है कि मेरे बाद मेरा राज पाट का उत्तराधिकारी कौन होगा मेरा युवराज कौन होगा,फिर तो महाराजा दशरथ को चिंता होनी चाहिए थी लेकिन उनको ग्लानि हुई, किसी को भी ग्लानि तब ही होती है जब उसके अंदर कोई अपराध बोध होता है तो दशरथ जी से क्या कोई अपराध हुआ था ? जो उन्हे इस बात की ग्लानि हो रही थी,कि उनके अभी तक कोई संतान नहीं है ।

रामायण में हर शब्द का अपना अलग अर्थ है अगर आप खोज पाएँ । राजा दशरथ को पुत्र की चिंता नहीं थी उन्हें मालूम था कि उनके यहाँ पुत्र के रूप में परमेश्वर का अवतार होना है लेकिन अभी तक भगवान प्रगट नहीं हुए हैं उनसे क्या अपराध हुआ है, उनसे क्या गल्ती हो गई है, दशरथ जी खुद महाज्ञानी और धर्मपरायण थे ……

अवधपुरीं रघुकुलमनि राऊ। बेद बिदित तेहि दसरथ नाऊँ।।
धरम धुरंधर गुननिधि ग्यानी। हृदयँ भगति मति सारँगपानी।।

दशरथ जी को ज्ञान था कि वो पिछले जन्म में महाराजा मनु थे उन्होने और उनकी पत्नी सतरूपा ने घोर तपस्या करके भगवान से यह वर प्राप्त किया था कि भगवान एक बार उनके यहाँ पुत्र के रूप में प्रगट होंगे, भगवान ने उन्हे वर दिया था कि जब त्रेता युग में वो दशरथ और कौसल्या के रूप में जब जन्म लेंगे तब भगवान उनके यहाँ पुत्र के रूप में प्रगट होंगे । तभी से महाराज दशरथ को उनके जन्म का इंतिज़ार था लेकिन विलंब होने से उनके मन में ग्लानि उत्पन्न हो रही थी उनके अंदर अपराध बोध आ रहा था कि भगवान अपने वचन के बाद भी प्रगट नहीं हो रहे हैं तो दशरथ जी को लगा कि उनसे कहीं कोई जाने अंजाने में अपराध तो नहीं हुआ है जो भगवान प्रगट नहीं हो रहे ,इसीलिए वो तुरंत अपने गुरु के पास समस्या ले कर गए ।

यहाँ बहुत ही ध्यान से यह समझने की बात है कि बिना गुरु के ज्ञान के,गुरु की कृपा के आपके हृदय रूपी घर में भगवान का जन्म नहीं हो सकता । आप कितने भी ज्ञानी हो, ध्यानी हो आपको भगवत प्राप्ति के लिए गुरु की शरण में जाना ही पड़ेगा, गुरु ही बता सकता है कि भगवत प्राप्ति में रुकावट कहाँ है और उसके लिए क्या उपाय क्या साधन करने होंगे ।

दशरथ महाराज के गुरु उनको उपाय बताते हैं और सिर्फ बताते ही नहीं उसके लिए साधन भी बनाते हैं । वो पुत्रकाम यज्ञ के लिए श्रंगी ऋषी को बुलाते हैं और उनसे ही पुत्रकाम यज्ञ कराते हैं । कोई भी संत महात्मा बिना किसी संत के आग्रह के आ जाये यह थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन जब गुरु की कृपा होती है तो सब साधन अपने आप बन जाते हैं । श्रिंगी ऋषी द्वारा यज्ञ किया जाता है और प्रसाद सभी रानियों को देकर उन्हे आशीर्वाद दिया जाता है । उस यज्ञ और आशीर्वाद से सभी रानी गर्भवती होती हैं ।

बालकांड रामायण चौपाई :

जा दिन तें हरि गर्भहिं आए। सकल लोक सुख संपति छाए।।

रामचरितमानस चौपाई अर्थ सहित :

जिस दिन से भगवान गर्भ में आए, सभी लोकों में सुख और संपत्ति छा गई ।

यहाँ तो पूत के पाँव पालने में भी नहीं आए सिर्फ गर्भ में आए उसी से सभी लोकों में मतलब धरती पर, आकाश में,और पाताल में संपत्ति छा गई ।

अगर शब्दार्थ के रूप में समझें तो यही समझ में आता है कि किसी के भी जन्म से पहले उसके भाग्य के हिसाब से परिस्थितियों का निर्माण हो जाता है । अगर कोई संतान भाग्यवान है तो उसके गर्भ में आते ही उसके माता पिता के दिन फिरने लगते हैं भाग्य साथ देने लगता है जहां जो करते हैं उसमें उन्हें लाभ होने लगता है । अगर संतान का भाग्य कमजोर होता है तो उसके गर्भ में आते ही माता पिता को अचानक से दुर्भाग्य घेर लेता है वो कितने भी धनवान हों अगर संतान दुर्भाग्यशाली है तो कुछ ऐसा कुछ होगा कि वो दिनों दिन निर्धन होते जाएँगे । धन का सिर्फ एक उदाहरण लिया है संतान के गर्भ में आते ही बहुत से दुर्भाग्य घेर सकते हैं ।

इसको अगर हम सूक्ष्मता से समझें तो समझ आएगा, चौपाई में जो तीनों लोक बताए गए हैं वो हमारे तीनों काल हैं मतलब भूतकाल,भविष्य काल और वर्तमान । जिस दिन से भगवान हमारे हृदय रूपी गर्भ में आते हैं हमारे तीनों काल सुधरने लगते हैं, भूतकाल में किए गए हमारे पाप कटने लगते हैं,वर्तमान शुद्ध होने लगता है जिससे चारों तरफ आनंद ही आनंद छा जाता है । जिस भी हृदय में भगवान का वास होता है वो सभी भविष्य की चिंताओं से मुक्त हो जाता है।

हर सवाल का जबाब रामचरितमानस :

आप कोई भी रामायण प्रसंग उठा लें आप को अपने जीवन के लिए उससे एक प्रेरणा मिलती है । रामचरितमानस की भाषा इतनी सरल है की अगर आम जनमानस ध्यान से पढे तो उसके अंदर उठने वाले हर सवाल का जबाब रामचरितमानस में मिल जाएगा । जो भी भगवान राम का भक्त नियमित रूप से रामायण का पाठ करता है उसे भगवान की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होती है ।

चलते चलते अपनी बात :

उन सभी Sanatani Hindu भाई बहनों का धन्यवाद जो लेख के आखिरी पड़ाव तक साथ आए । आप को लेख पसंद आया हो तो पोस्ट को लाइक करें शेयर करें कोई सवाल हो तो कमेन्ट सेक्सन में पूछ सकते हैं ।

जो लोग भी अपने धर्म,अध्यात्म और भारतीय सभ्यता के लेखों से जुड़े रहना चाहते हैं वो लेफ्ट साइड में बने Bell Icon को दबा कर नोटिफ़िकेशन को allow कर दें जिस से उनको लेखों की समय से सूचना मिलती रहे ।

आप निम्न लेख भी पसंद कर सकते हैं :

F.A.Q

भगवान राम के पिता का क्या नाम था ?

भगवान राम दशरथ के पुत्र थे ।

भगवान राम की माता कौन थी ?

भगवान राम की माता का नाम कौसल्या था

भगवान राम का जन्म किस युग में हुआ था ?

भगवान राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था

महाराज दशरथ के गुरु का क्या नाम था ?

ऋषि वशिष्ठ महाराज दशरथ के गुरु थे

दशरथ के पुत्र होने के लिए किस ऋषी ने यज्ञ कराया था ?

श्रंगी ऋषी ने पुत्र की प्राप्ति के लिए दशरथ का यज्ञ कराया था

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top