हम किसकी पूजा करें ? कौन से देव हमसे जल्दी खुश होंगे ? हमारे भगवान कौन हैं ? हम राम को पूजें ? या कृष्ण को ? ये ऐसे सवाल हैं ,जो हर किसी के मन में अक्सर घूमते हैं । लोग अपने गुरू से अपने पंडित या ज्योतिष से ये सवाल अक्सर पूछते हैं ? साथ में ये भी पूछते हैं कि हमारा पूजा में मन क्यों नहीं लगता ? पूजा घर में किस भगवान की मुख्य मूर्ति रखें ?
पहला जबाब : First answer,Listen to your soul
इसका पहला जबाब बड़ा सरल है । सभी सनातन धर्मियों को मालूम है कि हमारी आत्मा में ही परमात्मा का वास होता है । हम सभी में भगवान का अंश है । परमात्मा एक ही है, मतलब परम आत्मा । भगवान के स्वरूप बस अलग अलग हैं । इस लेख का भावार्थ भी यही है, कि हम किस स्वरूप की पूजा करें । पहला जबाब आप के अंदर ही छिपा है । आपका मन,आपकी आत्मा खुद जिस तरफ ज्यादा झुकती हो, वही आप के ईष्ट देव हैं । वही आपके भगवान हैं । कभी कभी हमको स्वप्न में भी किसी ना किसी स्वरूप के दर्शन होते हैं । यह भी एक संकेत है ।
कभी कभी फिर भी हमारी शंका नहीं जाती । जैसे अपने बच्चों में से नहीं समझ पाते कौन हमारे ज्यादा करीब है । इस शंका का समाधान आपके सद्गुरु कर सकते । आप अपने सद्गुरु की शरण लें । अगर आपके गुरु नहीं हैं तो, कुछ हद तक ज्योतिष से यह जबाब मिल सकता है । ज्योतिषीय जबाब, मैं यहाँ आगे दूँगा । आप लेख पूरा पढ़ें कुछ हद तक आपको जबाब मिल जाएगा । आप के मन के जबाब और ज्योतिषीय जबाब में अगर मेल है, तो समझ लीजिये वही आपके इष्ट देव हैं ।
ज्योतिषीय जबाब : Astrological Answer :
दूसरा जबाब हमें वैदिक ज्योतिष में मिलता है । जब ग्रह,लगन,वार,योग और तिथि हमारे जन्म के अनुकूल होती है,तभी हमारा जन्म होता है । हमें जो जन्म फल मिलने होते हैं,जब ग्रह गोचर उस अनुसार होता है ठीक उसी क्षण हमारा जन्म होता है । जन्म के समय की तिथि, दिन और तारीख पूरे जीवन हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है । ठीक वैसे ही हमारी लगन या राशि पूरे जीवन महत्वपूर्ण होती है । हमारी जन्म राशि या लगन का मालिक ही हमारा सबसे महत्वपूर्ण देवता होता है । उसी को हम अपना ईष्ट देव मान सकते हैं ।
आगे मैं प्रत्येक राशि और उसके देवता के बारे में बताऊंगा । हर राशि का स्वामित्व एक विशेष ग्रह के पास है । हर ग्रह का एक अलग देवता होता है । ज्योतिष में बारह राशियाँ होती हैं । सूर्य और चंद्र देव को एक एक राशि का स्वामित्व प्राप्त है । राहू और केतू को किसी का स्वामित्व प्राप्त नहीं है । बाकी बचे पाँच ग्रहों को दो दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त है ।
यहाँ मैं राशि की जगह लगन के हिसाब से ही चर्चा करूंगा । अगर आपको लगन मालूम नहीं तो अपनी जन्म पत्रिका खोल लें । सबसे ऊपर पहले खाने में ल* लिखा होगा साथ में एक नंबर लिखा होगा उसको ध्यान रखें । उस नंबर की लगन क्या है मैं साथ साथ बताता चलूँगा । जिनको राशि मालूम है वो राशि से भी समझ सकते हैं ।
आइये क्रम से आरंभ करते हैं ।
मेष और व्रश्चिक लगन/राशि के ईष्ट देव ; Lord of Aries and Scorpio :
अगर आपकी कुंडली के पहले खाने में 1 नंबर लिखा है तो आपकी लगन मेष है । अगर आपकी कुंडली के पहले खाने में 8 नंबर लिखा है तो आपकी लगन व्रश्चिक है । प्रथम लगन मेष और आठवीं लगन व्रश्चिक के ईष्ट देव एक ही हैं । इन दोनों लग्नों/राशियों का स्वामित्व मंगल देव को प्राप्त है । मेष और व्रश्चिक लगन/राशि वाले लोगों को हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए । जहां नरसिंह भगवान की पूजा की जाती है वो उनको भी अपना ईष्ट मान सकते हैं ।
वृषभ और तुला लगन/राशि के इष्ट देव ; Lord of Taurus and Libra :
अगर आपकी कुंडली के पहले खाने में 2 नंबर लिखा है तो आपकी लगन वृषभ है । अगर पहले खाने में 7 नंबर लिखा है तो आपकी लगन तुला है । वृषभ और तुला राशि/लगन का स्वामित्व एक ही देवता को प्राप्त है । वृषभ और तुला राशि के जातकों को माँ दुर्गा के किसी स्वरूप की आराधना करनी चाहिए । आप माँ लक्ष्मी की भी शरण ले सकते हैं ।
मिथुन और कन्या राशि/लगन के ईष्ट देव ; Lord of Gemini and Virgo :
अगर आपकी कुंडली के प्रथम भाव में 3 नंबर लिखा है तो आपकी लगन मिथुन है । अगर 6 नंबर लिखा है तो लगन कन्या है । मिथुन और कन्या राशि के देवता एक ही हैं । आप लोगों को गणेश जी की पूजा करनी चाहिए । विघ्नहरता ही आप के ईष्ट देव हैं ।
कर्क लगन/राशि के इष्ट देव ; Lord of Cancer :
अगर आपकी कुंडली के प्रथम भाव में चार नंबर लिखा है तो आपकी लगन कर्क है । कर्क राशि का स्वामित्व चंद्र देव को प्राप्त है । कर्क लगन/राशि वालों को महादेव की पूजा करनी चाहिए । कर्क राशि वाले पानी और दूध की बरबादी कभी ना करें । ऐसा करने से उनके इष्टदेव नाराज होते हैं ।
सिंह लगन/राशि के ईष्ट देव ; Lord of Leo :
अगर आपकी कुंडली के पहले खाने में 5 नंबर लिखा है तो आप की लगन सिंह है। सिंह लगन/राशि वालों के लिए सूर्य देव ही उनके आराध्य देव हैं। सिंह राशि वाले लोगों को सूर्य की उपासना करनी चाहिए । सूर्य देव साक्षात देव हैं जिनके दर्शन हम रोज करते हैं। सिंह राशि वालों को सूर्योदय के बाद नहीं सोना चाहिए । हो सके तो उगते सूरज को प्रणाम कर आशीर्वाद लें ।
धनु और मीन लगन/राशि के ईष्ट देव ; Lord of Sagittarius and Pisces :
अगर आपकी कुंडली के प्रथम भाव में 9 नंबर लिखा है तो आपकी लगन धनु है । जिनके प्रथम भाव में 12 नंबर लिखा है उनकी लगन मीन है । धनु और मीन लगन/राशि के लोगों के ईष्ट देव विष्णु भगवान हैं। मीन और धनु राशि के लोग विष्णु भगवान के किसी अवतार की पूजा कर सकते हैं। जैसे भगवान राम या कृष्ण भगवान की । धनु और मीन लगन वाले लोग अपना गुरु ना किसी को जरूर बनाएँ । गुरु दीक्षा भी लें ।
मकर और कुम्भ लगन/राशि के ईष्ट देव ; Lord of Capricorn and Aquarius
अगर आप की कुंडली के पहले खाने में 10 नंबर लिखा है तो आप की लगन मकर है । अगर 11 नंबर लिखा है तो लगन कुम्भ है । मकर और कुम्भ का स्वामित्व शनि देव को प्राप्त है । आप लोग भगवान शिव को अपना ईष्ट देव मानें । घर के बाहर आप शनि देव,काली जी, या भैरों बाबा की पूजा कर सकते हैं। घर में इन देवताओं की मूर्ति नहीं रख सकते इसलिए महादेव की पूजा करें ।
सलाह : Suggestions :
आप को इस सवाल का भी जबाब मिल गया होगा कि घर के मंदिर में किस भगवान की मुख्य मूर्ति रखें ।
आपको घर के मंदिर में अपने ईष्टदेव की ही मुख्य मूर्ति रखनी चाहिये । बाकी साथ में और फोटो भी रख सकते हैं ।
एक बात और कहना चाहूँगा । अपने सनातन धर्म में और शास्त्रों में पाँच देवों की पूजा अनिवार्य बताई गई है ।
सभी को सूर्य देव,गणेश जी,शिव,विष्णु भगवान और दुर्गा जी की ये पाँच देवों की पूजा अवश्य करनी चाहिये । आज की भाग दौड़ की जिंदगी में मुख्य पूजा के पहले इन पाँच देवों का ध्यान जरूर करें ।
आप को लेख कैसा लगा अपनी राय कमेन्ट में जरूर दें । कोई शंका हो तो वो भी पूछ सकते हैं,जबाब देने की कोशिश करूंगा ।
ॐ नमः शिवाय
सनातन धर्म की जय हो
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