आपके किस घर में हैं ? Shani Dev Ji :

आपके कर्म फल दाता,आपके न्यायाधीश, Shani Dev Ji, कुंडली के किस घर में बैठे हैं ? वो आपको क्या देने आए हैं ? क्या लेने आए हैं ? क्या पहले भाव में हैं ?

अगर पहले भाव में बैठे हैं, shani Dev Ji, तो आपको उनके फलों का विस्तार से विवेचन करूंगा इस लेख में ।

नमस्कार, मैं पंडित योगेश वत्स सभी सनातनी हिन्दू,भाई बहनों का अपने धर्म,अध्यात्म,और ज्योतिष के ब्लॉग पर बहुत बहुत स्वागत करता हूँ ।

क्या हैं ? Shani Dev Ji :

पौराणिक कथा के अनुसार Shani Dev Ji, को सूर्य देव का पुत्र माना गया है । शनि देव जी की माता जी का नाम छाया है । शनि देव की माता जी भोले नाथ की अनन्य भक्त थी उन्होने लगातार इतना घनघोर तप किया था कि उनको खाने पीने का भी होश नहीं रहता था इसी कारण शनि देव कृषकाय और काले रंग के पैदा हुए थे । उनके वर्ण और शरीर को देख उनके पिता सूर्य देव ने उनको अपना बेटा मान ने सी ही इंकार कर दिया था । इसी वजह से शनि देव अपने पिता से शत्रुवत भाव रखते हैं ।

पुराणों के अनुसार Shani Dev Ji, ने बनारस में जा कर गंगा किनारे कठोर तप करके शंकर जी को प्रसन्न कर उनसे वरदान प्राप्त किए थे । उन्होने शंकर जी से मांगा था कि वो अपने पिता सूर्य देव से भी शक्तिशाली हों । शंकर जी ने उन्हे सभी ग्रहों से ज्यादा बलशाली,प्रभावशाली होने का वरदान दिया था । शास्त्रों में यह वर्णन भी मिलता है कि शनिदेव ने ही बनारस में काशी विश्वनाथ शिवलिंग की स्थापना उसी समय की थी । सी

वैदिक ज्योतिष में आपके कर्मों के अनुसार आपको फल देने का अधिकार सारे ग्रहों में सिर्फ शनि देव को मिला हुआ है । शनि देव को ही ब्रह्मा जी ने न्यायाधीश की पदवी प्रदान की हुई है । तीनों लोकों के देव हों,दानव हों या मानव हों सभी के कर्मों का न्याय सिर्फ शनि देव करते हैं ।

सिर्फ न्याय ही नहीं करते,दण्ड भी देते हैं Shani Dev Ji ;

Shani Dev Ji, को दंडाधिकारी भी कहा गया है,वर्तमान काल की न्याय व्यवस्था में न्याय करने का कार्य जज का होता है और दंड देने का कार्य जेलर का या पुलिस का है लेकिन शनि देव को न्याय का भी अधिकार मिला हुआ है और दण्ड देने का अधिकार भी उनके ही पास है । इसलिए आपको कर्म के हिसाब से दंड भी शनि देव ही देंगे अगर आपके कर्म अच्छे रहे होंगे तो पुरुष्कार भी जरूर देंगे शनिदेव । बहुत से लोग शनि के समय में ही फर्श से अर्श पर पहुँच जाते हैं जिसका कारण उनके अच्छे कर्म हैं वो उन्होने चाहे इस जन्म में किए हों या पिछले जन्म में ।

शनि की सरकार लंबी सरकार : Shani Dev Ji, Government :

Shani Dev Ji, को आपके सारे कर्मों का हिसाब करना होता है वो इस जनम के साथ साथ पिछले जन्मों का भी हिसाब करते हैं । इसलिए उनको अच्छे या बुरे फल देने के लिए ज्यादा समय भी चाहिए होता है । शनि देव को तभी ब्रह्मा जी ने लंबा कार्यकाल दिया हुआ है । शनि की महादशा 19 साल की होती है इन उन्नीस साल में वो आपको फल देते हैं । यह महादशा शुक्र देव की महादशा जो कि 20 साल की होती है,उसके बाद की सबसे बड़ी महादशा होती है । अगर किसी को अपने जीवन काल में शनि की महादशा दशा नहीं मिलती तो भी वह शनि के फलों से वंचित नहीं रह सकता क्योंकि किसी के भी जीवन में तीन बार साढ़े साती आती है जो कुल मिला कर 22.5 साल हुए और फिर ढैया भी और शनि की अंतर्दशाएं भी । इस तरह शनि देव की सरकार सभी के जीवन में सबसे ज्यादा समय तक रहती है ।

लोग सही मायनों में Sade sati meaning, नहीं समझ पाते sade sati तीस तीस साल के अंतराल में लगातार आती है उस समय आपको उन्ही कर्मों के फल मिलते हैं जो आपने पिछले 30 साल में किए होते हैं । वो फल अच्छे भी हो सकते हैं और खराब भी । Sade Sati ; पर पूरा लेख पहले लिख चुका हूँ इसलिए इस पर दोबारा ज्यादा बात नहीं करूंगा जिन लोगों को पढ़ना है वो यहाँ पर Click कर पढ़ सकते हैं ।

शनि देव जब भी वक्री अवस्था में होते हैं तब वो जहां जिस घर में बैठे होते हैं उस घर से पिछले वाले घर के भी कुछ रिज़ल्ट, देते हैं साथ में जिन पिछले कर्मों का फल अभी तक नहीं मिला है उन कर्मों के भी फल इस दौरान देते हैं । Vakri Shani : बचे हुए साल में करेंगे सब उल्टा पुल्टा ? यह लेख भी यहाँ Click कर पढ़ सकते हैं ।

Shani Dev Ji, के बारे में कितना भी कम लिखो फिर भी ज्यादा हो ही जाता है अब आगे शनि के विभिन्न भावों में स्थित को लेकर अपने विचार रखूँगा एक लेख में एक भाव को ही लूँगा जिस से पूरी बात लिख सकूँ । आज शनि के पहले भाव में स्थित पर चर्चा करूंगा ।

आप अपनी लगन पत्रिका उठा लें और देखें कि क्या आप के शनि सबसे ऊपर वाले भाव मतलब प्रथम भाव में बैठे हुए हैं । अगर शनि देव प्रथम भाव में हैं तो आगे का लेख आपके लिए है ।

Shani Dev

यहाँ मैं लगन कुंडली के अनुसार ही अपने विचार दे रहा हूँ काफी कुछ इस बात पर भी निर्भर करता है कि पहले घर में कौन सी राशि है, मैं यहाँ कालपुरुष कुंडली को आधार मान कर फल कहूँगा ।

Shani Dev Ji, प्रथम भाव में ;

अगर शनि देव आपकी कुंडली के प्रथम भाव यानि पहले घर में हैं जिसे लगन भाव भी कहा जाता है तो आप एक चिंतातुर व्यक्ति हैं । आपको चिंताएँ अक्सर घेरे रहती हैं । आपका रंग सांवला हो सकता है । शरीर से ज्यादा हृष्ट पुष्ट नहीं होंगे । लेकिन आप मेहनती होंगे । आप लोग निर्णय लेने में अपने आप को हमेशा असमर्थ पाते हैं हमेशा संशय मे घिरे रहते हैं । इनको ना तो कोई बात जल्दी समझ आती है ना ही अपनी बात दूसरों को अच्छे से समझा पाते हैं । अगर किन्ही अच्छे ग्रहों का साथ या उनकी दृष्टि प्रथम भाव पर ना हो तो प्रथम भाव का शनि दरिद्र और दुखी बनाता है । इन लोगों को जिंदगी में दूसरे लोगों से ज्यादा संघर्ष जीवन यापन के लिए करना पड़ता है ।

शनि की तीसरी दृष्टि प्रभाव :

शनि प्रथम भाव में हो तो उसकी तीसरी दृष्टि कुंडली के तीसरे भाव जिसे पराक्रम भाव भी कहा जाता है, पर पड़ती है । इन जातकों को अपने लिए तो संघर्ष करना ही पड़ता है अपने साथ साथ अपने छोटे भाई बहनों के लिए भी मेहनत करनी पड़ती है कभी कभी वो सिर्फ अपने बड़े भाई या बहन पर ही आश्रित देखे गए हैं । पहले भाव में बैठा शनि सम्प्रेषण क्षमता में कमी लाता है ऐसे लोग अपनी बात को दूसरे लोगों को समझाने में असमर्थ होते हैं या तो अपनी बात कह नहीं पाते हैं या फिर दूसरे लोग इनकी बातों को सही से समझ नहीं पाते । तीसरे भाव में शनि की दृष्टि लिखने पढ़ने में गलतियाँ करवाती है ऐसे लोग जब भी कुछ लिखते हैं तो उनमें काटा पीटी बहुत करते हैं । ऐसे लोगों को किसी भी पेपर पर दस्तखत से पहले उसे ध्यान से पढ़ना चाहिए । शनि देव की तीसरी दृष्टि इन लोगों को छोटी यात्राएं बहुत कराती है अगर दूसरे ग्रहों का सपोर्ट नहीं मिलता तो यह यात्राएं फलदायी साबित नहीं होती हैं ।

Shani Dev Ji

शनि का सप्तम दृष्टि प्रभाव :

पहले भाव में बैठ कर शनि देव अपनी सप्तम दृष्टि से पार्टनर के भाव को देखते हैं जिसे हम लाइफ पार्टनर का भी भाव कहते हैं । सप्तम भाव पर शनि की दृष्टि किसी भी स्थित में वैवाहिक जीवन को सामान्य नहीं रहने देती । अगर शुक्र और गुरु की स्थित कुंडली में मजबूत और शुभ नहीं होती तो शादी को लंबे समय तक चलने में मुश्किल आती है । प्रथम भाव के शनि देव अगर शुभ प्रभाव में नहीं हैं तो वह साझेदारी के काम में भी नुकसान देते हैं । जो लोग रिटेल के काम या फुटकर दूकानदारी में भी जुड़े हैं उनको भी यह सप्तम दृष्टि रोज कोई ना कोई समस्या देती है ।

Shani Dev ji

शनि का दशम दृष्टि प्रभाव :

पहले भाव में बैठ कर शनि देव अपनी दशम दृष्टि से कार्य के भाव को देखते हैं । जैसा पहले भी बताया है कि पहले भाव का शनि मेहनत बहुत कराता है । यह लोग जितनी मेहनत करते हैं उस के अनुसार इनको फल नहीं मिलते हैं । ये लोग अपने काम से खुद भी कभी खुश नहीं होते हैं । ये कितनी भी मेहनत करें इनके बॉस कभी इनके काम की सराहना नहीं करते इनके साथ वाले लोग प्रमोशन पाते जाते हैं मगर इनको प्रमोशन के लिए संघर्ष करना पड़ता है । प्रथम भाव के शनि की दशम दृष्टि पिता से भी अनबन कराती रहती है । इन जातकों को पिता से कभी सहयोग प्राप्त नहीं होता है अक्सर अपमान का सामना करना पड़ता है ।

Shani Dev ji

Shani Dev Ji, के उपाय ;

  • जिनके भी कुंडली के प्रथम भाव में शनि है उनको शनि के अन्य उपायों के साथ ही हनुमान जी का हनुमान चालीसा का सात पाठ रोज करना चाहिए ।
  • घर में शमी का पौधा शनिवार वाले दिन लाएँ और उसकी अच्छे से देखभाल करें और प्रतिदिन शाम को उसके आगे तेल का दीपक जलाएं ।
  • भगवान कृष्ण की श्याम वर्ण मूर्ति अपने पूजा घर में रखें उस की रोज आराधना करें ।
  • शनिवार को शनिदेव मंदिर में छाया दान करें ।
  • शनिवार वाले दिन शाम को शनि स्त्रोत का पाठ करें ।
  • शनि की वस्तुओं का दान किसी बुजुर्ग या गरीब को करें जैसे काली दाल,सरसों का तेल, जूता चप्पल,छाता इत्यादि ।
  • शनि देव मंत्र का एक माला जाप प्रतिदिन करें ।

चलते चलते आज की बात :

शनि देव को प्रथम भाव में अच्छा नहीं माना गया है लेकिन अगर वो अपने मित्र की राशि में हैं,उच्च के हैं,शुभ ग्रहों के साथ हैं या शुभ ग्रहों से दृष्ट हैं तो इतना खराब प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा । किसी भी गृह को हमारी कुंडली में कौन सा घर मिलेगा यह हमारे पूर्व जन्म के अनुसार निर्धारित होता है । वो जिस भी घर में विराजमान होते हैं उसी के अनुसार फल देने को बाध्य होते हैं । सभी का जीवन एक सघर्ष है बस सबके संघर्ष अलग अलग होते हैं किसके संघर्ष किस गृह के होंगे ये अलग बात है । जो लोग भी शनि देव से प्रभावित हैं उनके लिए सबसे बड़ा उपाय यही है कि वो किसी को सताएँ नहीं, किसी के साथ अन्याय ना करें किसी को धोखा ना दें बड़े बुजुर्गों और गरीबों को दुखी ना करें वो अगर ऐसा करते हैं तो उनका शनि इस जनम के लिए तो पीड़ित होगा ही अगले जनम के लिए भी पीड़ित होगा ।

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सभी Santatani Hindu,भाई बहनों का परमपिता परमेश्वर कल्याण करें ।

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