एकादशी में भी बहुत खास है बैकुंठ एकादशी :

भारतीय हिन्दू धर्म में विभिन्न त्योहारों और उत्सवों का महत्वपूर्ण स्थान है, जिनमें से एक है ” बैकुंठ एकादशी “। यह पर्व हिन्दी पंचांग के मास मार्गशिर्ष के शुक्ल पक्ष  की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है, जो देवों की पूजा और भगवान विष्णु की उपासना में विशेष महत्वपूर्ण है।

बैकुंठ एकादशी का महत्व :

बैकुंठ एकादशी पूरी तरह से भगवान विष्णु को समर्पित है इसी लिए आज के दिन को भगवान को प्रसन्न करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है । कहा जाता है आज के दिन भगवान बैकुंठ या स्वर्ग का द्वार खोल देते हैं । जो भक्त गण भगवान को प्रसन्न कर लेते हैं उनको विष्णु भगवान मोक्ष प्रदान कर बैकुंठ बुला लेते हैं और उन्हे मृत्य लोक के आवागमन से मुक्ति मिल जाती है ।

इस अद्वितीय दिन को श्रद्धा पूर्वक नियम धर्म से मनाने से भक्त अपने जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देखने की क्षमता प्राप्त करता है और उच्चतम आदर्शों की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध होता है।

इस दिन को जो भी भक्त श्रद्धा भाव से मनाते हैं उन्हे भगवान विष्णु की अनुग्रह और कृपा प्राप्त होती है, जिससे भक्तगण अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं ।

यह त्योहार भारत के दक्षिण भारत में विशाल रूप से मनाया जाता है विशेष रूप से तिरुपति के तिरुमाला मंदिर में इसे बहुत भव्यता के रूप में मनाया जाता है,इस दिन हजारों की सख्या में भक्त भगवान वेंकटेश्वर की पूजा अर्चना करने के लिए आते है ।

बैकुठ एकादशी की पूजा विधि :

बैकुंठ एकादशी बहुत ही पवित्र त्योहार माना जाता है,सभी सनातनी हिन्दू भाई बहनों को इस की महत्ता को समझना चाहिए और इस विशेष दिन को बहुत सात्विक रहना चाहिए ।

  • सभी भक्तों को सूर्योदय से पहले स्नान कर लेना चाहिए ।
  • एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर लक्ष्मी और विष्णु भगवान की मूर्ति या फोटो रखें,अगर श्री यंत्र उपलब्ध हो तो उसको भी साथ रख कर घी का दीपक जलायें ।
  • विष्णु भगवान को तुलसी पत्र अर्पित करें ।
  • घर की बनी मिठाई या जो भी उपलब्ध हो उसके साथ ऋतु फल और पंचामरत  का भोग लगाएँ ।
  • विधि विधान से पूजा करने के बाद,विष्णु सहस्त्र्नाम का पाठ करें या फिर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का 108 बार जाप करें ।
  • पूजा के बाद भगवान की आरती करें ।
  • जो भक्त व्रत रह सकते हैं वो पूरे दिन का व्रत करें ।
  • शाम के समय भगवत नाम का संकीर्तन करें ।

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