क्या कोई मूर्ख भी अमीर बन सकता है? क्या सिर्फ चार ज्ञान किसी की तक़दीर बदल सकते हैं? आज हम आपको एक ऐसी अनोखी कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो आपको चौंका देगी।
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मूढ़ ब्राह्मण की अनोखी तक़दीर
गाँव में एक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था। उसके साथ उसका भानजा भी रहता था, लेकिन वह इतना मूर्ख और आलसी था कि कोई काम नहीं करता था। दिन भर बस बैठा रहता, मामा-मामी की रोटियाँ खाता और आराम करता।
मामा-मामी परेशान थे। उन्हें लगा कि अगर उसका विवाह कर दिया जाए, तो शायद ज़िम्मेदारी आने से वह सुधर जाए। उन्होंने उसकी शादी कर दी और उसके रहने की अलग व्यवस्था कर दी। लेकिन क्या यह मूर्ख कभी सुधर पाएगा?
पत्नी की चालाकी और ज्ञान की तलाश
शादी के बाद उसकी पत्नी अपने साथ थोड़ा-बहुत दहेज लाई थी, जिससे कुछ समय तक घर चलता रहा। लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ खत्म होने लगा।
पत्नी समझ गई थी कि उसका पति न तो काम करेगा और न ही कोई उसे काम देगा। उसने सोचा कि अगर यही हाल रहा, तो हम भूखों मर जाएँगे।
एक दिन उसने अपने पति से कहा,
*”तुम कहीं जाकर कुछ ज्ञान सीखकर आओ। कुछ तो ऐसा सीखो, जिससे हमारा घर ठीक से चल सके।”*
पत्नी ने उसे कुछ पैसे दिए और उसे ज्ञान की तलाश में भेज दिया। लेकिन क्या वह सच में कोई ज्ञान प्राप्त कर पाएगा?
चार टके और चार अनमोल ज्ञान
कई दिनों की यात्रा के बाद ब्राह्मण को एक ज्ञानी मिला। ज्ञानी ने कहा,
*”मैं तुम्हें ज्ञान दूँगा, लेकिन मुफ्त में नहीं। एक ज्ञान के लिए एक टका देना होगा।”*
ब्राह्मण के पास चार टके थे। उसने वह चारों टके दे दिए।
ज्ञानी ने उसे चार ज्ञान दिए:
1. **जब पाँच लोग किसी बात को कहें, तो उसे सत्य मान लेना चाहिए।**
2. **धन मिलने पर किसी को भी उसके बारे में नहीं बताना चाहिए।**
3. **पत्नी को कभी सच नहीं बताना चाहिए।**
4. **राजा या स्वामी को हमेशा सच बताना चाहिए।**
ब्राह्मण ने ये चारों बातें याद कर लीं और घर लौटने के लिए निकल पड़ा। लेकिन क्या ये ज्ञान वास्तव में उसके किसी काम आएँगे?
रास्ते में एक अनहोनी
लौटते समय ब्राह्मण ने देखा कि सड़क किनारे एक भिखारी की लाश पड़ी थी। लोग उसे छूने से भी डर रहे थे और कोई उसे उठाने को तैयार नहीं था।
तभी उसे ज्ञानी का पहला ज्ञान याद आया:
“जब पाँच लोग किसी बात को कहें, तो उसे सत्य मान लेना चाहिए।”
लोग कह रहे थे कि लाश को गाँव से बाहर फेंक देना चाहिए। उसने भी वैसा ही किया और लाश को उठाकर जंगल में फेंक दिया।
जैसे ही लाश ज़मीन पर गिरी, भिखारी के कपड़ों से ढेर सारे सिक्के और पैसे निकल पड़े!
ब्राह्मण की आँखें चमक उठीं। उसने तुरंत सारे पैसे इकट्ठा किए और चुपचाप घर लौट गया। लेकिन क्या वह इन पैसों को छुपा पाएगा?
पत्नी से एक झूठ और एक भयानक परिणाम
घर पहुँचते ही पत्नी ने पूछा,
“क्या सीखा?”
ब्राह्मण को ज्ञानी का दूसरा ज्ञान याद था:
“धन मिलने पर किसी को नहीं बताना चाहिए।”
उसने हाँ में सिर हिलाया, लेकिन पैसों के बारे में कुछ नहीं कहा। अब उनके घर में धन-संपत्ति आ गई थी। उन्होंने एक बड़ा मकान बनवाया और ऐशो-आराम की ज़िंदगी जीने लगे।
पड़ोसियों को यह सब देखकर जलन होने लगी।
एक दिन पड़ोसन ने उसकी पत्नी से पूछा,
“तुम्हारा पति अचानक इतना अमीर कैसे बन गया?”
पत्नी को खुद भी यह नहीं पता था। उसने जबरदस्ती अपने पति से पूछना शुरू किया।
अब ब्राह्मण को तीसरा ज्ञान याद आया:
“पत्नी को कभी सच नहीं बताना चाहिए।”
उसने झूठ बोल दिया,
“मैंने हरड़ और बहेड़ा पीसकर खाया, जिससे मुझे यह धन मिला।”
पत्नी ने यह बात पड़ोसन को बता दी।
पड़ोसन ने अपने पति को समझाया और उसने भी हरड़ और बहेड़ा पीसकर खा लिया। लेकिन कुछ ही घंटों बाद उसकी मौत हो गई!
अब क्या होगा? क्या ब्राह्मण फँस जाएगा?
राजा का दरबार और चौथा ज्ञान
पड़ोसन रोती-बिलखती राजा के पास पहुँची और शिकायत कर दी कि ब्राह्मण के कहने पर उसके पति ने विष खा लिया।
राजा ने तुरंत ब्राह्मण को बुलाया।
ब्राह्मण घबराया, लेकिन तभी उसे चौथा ज्ञान याद आया:
“राजा या मालिक को हमेशा सच बताना चाहिए।”
उसने राजा को पूरी सच्चाई बता दी—कैसे उसने ज्ञान खरीदा, कैसे उसे रास्ते में पैसे मिले, और कैसे उसने अपनी पत्नी को झूठ बोला।
राजा उसकी ईमानदारी से प्रभावित हुआ और उसे बहुत सारा धन देकर सम्मानित किया।
सीख: सही ज्ञान से बदल सकती है तक़दीर
इस कहानी से हमें कुछ ज़रूरी बातें सीखने को मिलती हैं:
1. **सही समय पर सही ज्ञान का उपयोग करना बहुत ज़रूरी है।**
2. **धन कमाने के तरीके हर किसी को नहीं बताने चाहिए।**
3. **हर किसी से सच बोलना ज़रूरी नहीं, लेकिन राजा और स्वामी से कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए।**
4. **बुद्धिमत्ता और सतर्कता से इंसान अपनी किस्मत बदल सकता है।**