Guru Purnima : इस बार क्यों खास ?

Guru Purnima: Sanatani : धर्मालंबियों

Guru Purnima के लिए एक बड़ा महोत्सव होता है । जो हर साल अशाड़ के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है । हिन्दू लोगों के अलावा बौद्ध और जैन धर्म के मान ने वाले भी इसे धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन सभी धार्मिक लोग अपने आध्यात्मिक गुरु की पूजा करते हैं। गुरु स्थान,आश्रम,समाधि,के दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं । आज मैं इस लेख के माध्यम से Guru Purnima: पर अपने विचार रखूँगा ।

ज्योतिष के हिसाब से इस साल Guru Chandal : योग चल रहा है इसलिए ये पूर्णिमा सभी के लिए खास हो जाती है । लेख के आगे हिस्से में इस पर भी अपने विचार रखूँगा ।

Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा कब है ?

आगे और विस्तार में जाने से पहले बता दूँ कि इस वर्ष Guru Purnima तीन जुलाई ( 3/07/2023 ) दिन सोमवार को मनाई जाएगी । वैसे तो पूर्णिमा रविवार रात 8.29 से लग जाएगी,लेकिन किसी भी पर्व को उदिया तिथि में ही मनाया जाता है,इसलिए सोमवार को ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी ।

Who Is Guru : गुरु कौन है ?

GURU PURNIMA
ॐ गुरवे नमः

पूर्णिमा पर बात करने से पहले गुरु पर बात करना जरूरी है । गुरु वो है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाये । हमें अच्छे बुरे का भान कराये । जब हम रास्ते से भटक रहे हों तो हमें अपनी ज्ञान की उंगली पकड़ा, सही रास्ते की ओर ले जाये ।

माँ को प्रथम गुरु माना गया है, अगर आप विचार करेंगे, तो बचपन में जो कुछ भी हम सीखते हैं वो माँ से सीखते हैं । यह बात शास्त्रों में भी आती है । लेख में आध्यात्मिक गुरु की ही बात होगी लेकिन इस से किसी भी गुरु का मान कम नहीं हो जाता है । व्यवहारिक जीवन में हमारे कई गुरु हो सकते हैं । त्रेता युग में भी दशरथ महाराज के कई गुरु थे । उनके आध्यात्मिक गुरु वशिष्ठ जी ही थे जो उनके पूर्वजों के समय से चले आ रहे थे । विश्वामित्र को शैक्षिक गुरु मान सकते हैं। युद्ध नीति,शास्त्र नीति,राजनीति सब भगवान राम ने विश्वामित्र के गुरुकुल में ही सीखी । दशरथ जी की पुत्र कामना पूर्ति हेतु यज्ञ श्र्ंगी ऋषि ने कराया था । श्रंगी ऋषि कर्मकांडी गुरु हुए ।

गुरु के बारे में भ्रांतियाँ और दुष्प्रचार :

सनातनी समाज को बदनाम करने के लिये और हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने के लिये तमाम तरह के दुष्प्रचार किए जाते हैं । हर समाज में कुछ गलत लोग धर्म के नाम पर व्यापार में लगे होते हैं इसका मतलब ये नहीं कि पूरा साधु समाज गलत है । हम सभी सनातनीयों को इस से सावधान रहना चाहिए ।

गुरु कैसे मिलें ?

हम किसको गुरु बनाएँ ? गुरु को कहाँ ढूँढे ? अच्छे गुरु अब मिलते कहाँ हैं ? ऐसे तमाम सवाल बोलते लोग आपको मिल जाएँगे । एक बात का आप विश्वास रखिए, जिस दिन आपके मन में गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा हो जाएगी,आपको गुरु मिल जाएँगे । गुरु खुद आपको खोजते हुए आ जाएँगे । जिस दिन आप खुद अच्छे हो जाएँगे उस दिन आप को अच्छे गुरु भी मिल जाएँगे ।

अब मोहि भा भरोस हनुमंता, बिनु हरि कृपा मिलहि नहि संता। ये रामचरित मानस की चौपाई है, बिना भगवान की कृपा के आप को संत नहीं मिलते । आप भरोसा रखेंगे तो आप को अच्छे गुरु जरूर मिलेंगे । जिनके गुरु है वो अपने गुरु में पूरी श्रद्धा रखें । जिनको अभी तक गुरु नहीं मिले हैं वो हनुमान जी को अपना गुरु मान के अपने सुख दुख उनसे कहें ।

जै जै जै हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरु देव की नाईं ।।

हनुमान चालीसा की इस चौपाई में हनुमान जी को गुरु के समान ही माना गया है । दूसरी बात इस चौपाई से गुरु की कृपालता प्रमाणित होती है । हनुमान जी से गुरु के समान ही कृपा की कामना की गई है ।

गुरु की महिमा :

GURU PURNIMA
ॐ गुरुवे नमः

गुरु की महिमा अपार है, इस छोटे से ब्लाग में उस पर चर्चा करना मुश्किल काम है, फिर भी कुछ धर्म ग्रन्थों के उदाहरण दे कर आप को गुरु की महिमा बताना चाहूँगा ।

रामचरितमानस का संदर्भ :

  एक बार भूपति मन माहीं। भै गलानि मोरें सुत नाहीं॥
गुर गृह गयउ तुरत महिपाला। चरन लागि करि बिनय बिसाला॥

निज दुख सुख सब गुरहि सुनायउ। कहि बसिष्ठ बहुबिधि समुझायउ॥
धरहु धीर होइहहिं सुत चारी। त्रिभुवन बिदित भगत भय हारी॥

इन चार चौपाइयों में गुरु की महिमा का सार है । मन में ग्लानि होते ही दशरथ जी तुरंत गुरु के घर गये । गुरु की शरण में जा कर अपने सारे सुख दुख सुनाए । गुरु भी कितने कृपालु उन्होने तुरंत राजा को धीरज बँधाया और पुत्र होने का आशीर्वाद दिया या कहो भविष्यवाणी की । इसके बाद वशिष्ठ जी ने साधन भी बनाए श्रंगी को बुला कर यज्ञ कराया । क्या वशिष्ठ जी यज्ञ नहीं कर सकते थे ? वो महाज्ञानी और त्रिकाल दर्शी थे लेकिन उन्हें मालूम था इस कार्य के लिये कौन सबसे उपयुक्त होगा । इसीलिये उन्होने श्रंगी ऋषि को बुला कर कार्य सफल कराया ।

गुरु ही है जो आप के जीवन के सुख दुख हर सकता है । उसकी कृपा से आपके सारे मनोरथ पूरे हो सकते हैं । इसके लिये गुरु की शरण ही अंतिम उपाय है । Guru Purnima : अपने गुरु के दर्शन का उपयुक्त अवसर है ।

जिन लोगों ने रामायण थोड़ी भी ध्यान से पढ़ी होगी वो जानते होंगे कि दशरथ जी को कोई भी समस्या आती थी तो वह सीधे वशिष्ठ जी से ही अपनी समस्या का समाधान पूछते थे । रामायण में कितने ऐसे प्रकरण भरे पड़े हैं ।

जब विश्वामित्र जी राम और लक्ष्मण को लेने आते हैं तो दशरथ जी मोह में पड़ जाते हैं । वो विश्वामित्र से कहते हैं कि आप राज पाट धन दौलत कुछ भी मांग लो लेकिन राम को ना मांगो । उस समय वशिष्ठ जी ही राजा को समझा कर दोनों भाइयों को विश्वामित्र के साथ भेजते हैं । उन्हे मालूम था कि राम का भला इसी में है , राम की इस वन की यात्रा से केवल विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा ही नही होनी थी बल्कि अहिल्या का उद्धार भी होना था, सभी के विवाह भी विश्वामित्र के साथ जाने से ही होने थे । गुरु यह जानते थे इसलिए गुरु वशिष्ठ ने दशरथ जी को समझा बुझा कर राम लक्ष्मण को विश्वामित्र के साथ भेजा जिस से सबका कल्याण हुआ ।

महाभारत का संदर्भ :

गुरु की महिमा के संदर्भ में महाभारत काल की एक घटना याद दिलाना चाहूँगा । घटना सभी को मालूम है लेकिन आज गुरु के संदर्भ में देखिये । अर्जुन के गुरु अपने शिष्य के भले के लिये एकलव्य से गुरु दक्षिणा में उसका अंगूठा मांग लेते हैं । द्रोणाचार्य जी ने सही किया या गलत इस पर बहस हो सकती है, आज भी हजारों साल बाद लोग इस घटना की आलोचना करते हैं । गुरु के दृष्टिकोण से देखें तो यह घटना गुरु के प्रेम का अद्वितीय उदाहरण है । अपने सर पर पाप लेकर भी गुरु ने अपने शिष्य का भला किया ।

गुरु की महिमा अपार है । यहाँ कुछ चर्चा ही संभव हो सकती थी । मैंने ब्लॉग के साथ में जो फोटो दी हैं वो भी गुरु महिमा के संदर्भ में ही हैं ।

Guru Purnima : पर कैसे पूजा करें ?

GURU PURNIMA
ॐ गुरवे नमः

1 अगर आपके गुरु हैं तो अगर संभव हो तो गुरु के दर्शन को जाएँ ।

2 अगर गुरु ने शरीर छोड़ दिया है तो उनकी समाधि, आश्रम या घर पर जरूर जाएँ ।

3 समाधि का विधि विधान से श्रद्धा के साथ पूजन अर्चन करें ।

4 पूजा की समिग्री में पीले वस्त्र,पीले ऋतु फल, पीली मिठाई, पीली दाल और पीले पुष्पों को जरूर शामिल करें ।

5 अगर गुरु नहीं बनाए हैं तो Guru Purnima : के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें, विष्णु शहस्त्रनाम का पाठ करें य रामायण का पाठ करें

6 पूजा का सामान जो भी दान करना हो,किसी मंदिर में जा कर पुजारी को दान करें । गुरु पूर्णिमा का दान सिर्फ पंडित को करें ये ध्यान रहे । गुरु पूर्णिमा का दिन विष्णु भगवान का, गुरुओं का और पंडितों का है इसलिए दान केवल सुपात्र को करें ।

7 शाम को पीली हल्दी से स्वास्तिक बना उस पर घी का दीपक घर के दरवाजे पर रखें ।

Guru Chandal Yog : Guru Purnima : एक मुक्ति का साधन

जैसा कि लेख के शुरुआत में बताया था इस साल गुरु पूर्णिमा विशेष है, जिसका कारण है वर्तमान का गुरु चांडाल योग । इस साल अप्रेल से गुरु चांडाल योग चल रहा है जो अक्तूबर तक चलेगा,जिन जातको के ऊपर गुरु की महादशा,अंतर्दशा,राहू की महादशा, या अंतर्दशा चल रही है या फिर ऐसे किसी गृह की महादशा है जिसका नक्षत्र स्वामी गुरुदेव या राहू देव हैं । उनको विधि विधान से Guru Purnima; की पूजा जरूर करनी चाहिए और यथा संभव पीली वस्तुओं का दान जरूर करना चाहिए । Guru Purnima, को यह विशेष फल देने वाला उपाय है

अपने गुरु के आशीर्वाद से और अपने अल्प ज्ञान से जो कुछ ध्यान में आया वो आप लोगों के सामने रखा,लेख कैसा लगा आप अपने विचार कमेन्ट सेक्सन में लिख सकते हैं ।

ॐ नमः शिवाय

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F.A.Q.

गुरु पूर्णिमा किस के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है ?

गुरु पूर्णिमा, महाभारत पुराण के रचयिता और सभी वेद पुराणों के जनक वेद व्यास के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है ।

गुरु पूर्णिमा किस महीने में मनाई जाती है ?

गुरु पूर्णिमा हिन्दी के आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है ।

गुरु पूर्णिमा को किस भगवान की पूजा की जाती है ?

इस दिन गुरु देव और लक्ष्मी नारायण की पूजा की जाती है ।

1 thought on “Guru Purnima : इस बार क्यों खास ?”

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