Kaal Sarp Dosh Upay : काल सर्प दोष दूर करने का 1 रामबाण उपाय !

Kaal Sarp Dosh kya Hota Hai : काल सर्प दोष क्या है

Kaal Sarp Dosh एक रामबाण उपाय

 

यह कितना खतरनाक है ? क्या यह फायदा भी देता है या सिर्फ नुकसान ही करता है ? कैसे जानें कि आप के ऊपर Kaal Sarp Dosh प्रभावी है । इसके क्या लक्षण हैं ? इन सब बातों पर इस लेख में चर्चा करूंगा,और अंत में इसके उपाय भी बताऊंगा । आप पूरे लेख को अंत तक ध्यान से पढ़िएगा ।

नमस्कार दोस्तो मैं पंडित योगेश वत्स अपने धर्म,अध्यात्म और ज्योतिष के ब्लॉग पर सभी सनातनी हिन्दू भाई बहनों का बहुत बहुत स्वागत करता हूँ ।

सर्पों का, नागों का अपने सनातन धर्म में बहुत बड़ा स्थान है,सभी वेद पुरानों में नागों की चर्चा की गई है और उनको पूजनीय भी बताया गया है । यह धरती भी शेषनाग के ऊपर टिकी हुई है, भगवान विष्णु की शैया भी शेषनाग ही है, देवों के देव महादेव भी सर्पों की माला पहनते हैं । हम लोग भी नागपंचमी को अपने घर के बाहर नाग देवता का चित्र बनाकर उनको भोग लगा कर पूजते हैं ।

इसप्रकार नागदेवता सनातन संस्कृति में बहुत विशेष स्थान रखते हैं । लेकिन सभी लोग आदिकाल से सर्पों से नाग देवता से डरते चले आए हैं और इसीलिए Kaal Sarp dosh से भी सभी लोग भय खाते हैं । क्या kaal sarp dosh सिर्फ नुकसान ही करता है या फायदा भी करता है इसकी भी चर्चा आगे करूंगा ।

पहले यह जानते हैं कि कुंडली को देखकर हम कैसे जानें कि हमारी कुंडली में Kaal sarp dosh है ?

यदि किसी कुंडली में सभी गृह ( राहू और केतू को छोड़ सभी सात गृह ) राहू और केतू के बीच में स्थित हैं तो कुंडली को Kaal Sarp Dosh से प्रभावित माना जाता है ।

Kaal Sarp Dosh कितना प्रभावी होगा यह बहुत से कारकों पर निर्भर करता है । जैसे राहू गृह किन ग्रहों के साथ है,कौन सी राशि में है ? वह जिस गृह के साथ है उस गृह की और राहू की डिग्री कितनी है, जैसे अनेक कारक हैं जिनके ऊपर Kaal Sarp Dosh का प्रभाव निर्भर करता है इसलिए सिर्फ कुंडली में सभी ग्रहों को राहू केतू के बीच देखकर डर नहीं जाना चाहिए ।

राहू और केतू हमेशा वक्र गति से चलते हैं मतलब उल्टे चलते हैं इससे दो स्थितियाँ बनती हैं,बाम गोलार्ध और दक्षिण गोलार्ध । राहू के बाएँ भाग को काल कहा जाता है, अगर राहू के बाएँ भाग की तरफ से केतू की ओर जाते हुए सारे गृह पड़ते हैं तो उदित गोलार्ध सर्प योग बंता है जो ज्यादा प्रभावी होता है । नीचे के चित्र में समझने के लिए उदित गोलार्ध दिखाया गया है ।

उदित गोलार्ध काल सर्प दोष चित्र :

उदित गोलार्ध Kaal Sarp Dosh उदित गोलार्ध काल सर्प दोष

अनूदित गोलार्ध काल सर्प दोष चित्र :

केतू से राहू की ओर बनने वाले kaal Sarp dosh को अनेक शास्त्रों में प्रभावशाली काल सर्प दोष नहीं माना गया है,इसलिए इस से ज्यादा भयभीत नहीं होना चाहिए । इस तरह के kaal sarp dosh को चित्र के माध्यम से नीचे दर्शाया गया है ।

अनूदित गोलार्ध Kaal Sarp Dosh
अनूदित गोलार्ध काल सर्प दोष
Mediation Asan
Seat Cushions Yoga Meditation Mat Pooja aasan Soft

 

काल सर्प योग के लक्षण :

जिन लोगों के पास अपनी कुंडली नहीं है या जिनको अपने जन्म का सही समय नहीं मालूम वो कैसे जानें कि उनके ऊपर काल सर्प दोष प्रभावी है कि नहीं । उनके लिए नीचे कुछ लक्षण दिये जा रहे हैं अगर उनमें से कुछ लक्षण आप को महसूस होते हैं तो आप को काल सर्प दोष के उपाय जरूर करने चाहिए ।

  • स्वप्न में बार बार सर्प का दिखाई देना ।
  • भरपूर मेहनत करने के बाद भी आशा के अनुरूप सफलता का ना मिलना ।
  • हमेशा तनाव में रहना और सही निर्णय ना ले पाना
  • अकारण लोगों से शत्रुता होना, गुप्त शत्रुओं का पैदा हो जाना
  • बनते बनते कामों का अचानक से बिगड़ जाना ।
  • शादी में विलंब होना,पारवारिक जीवन क्लेश पूर्ण हो कर संबंध विच्छेद तक हो जाना ।

 

kaal Sarp Dosh का सबसे खतरनाक समय :

  • राहू की महादशा,प्रत्यंतर दशा में या सूर्य, शनि, तथा मंगल की अंतर्दशाओं में ।
  • जीवन के मध्य काल, मतलब 40 से 45 साल के बीच
  • गृह गोचर के कारण जब कभी कुंडली में काल सर्प दोष बनता हो
  • कुंडली में गोचर वश राहू के अशुभ घरों से गोचर करते वक्त

काल सर्प दोष के फायदे :

काल सर्प दोष सिर्फ नुकसान ही नहीं करता कभी कभी वह बहुत फायदा भी पहुंचाता है । राहू ही एक मात्र ऐसा गृह है जो इंसान को फर्श से आसमान तक पहुंचा सकता है इसलिए काल सर्प दोष से हमेशा डरना नहीं चाहिए । बहुत से प्रख्यात और सफल लोगों की कुंडलियों में काल सर्प दोष देखने को मिलता है । जब उनकी कुंडली में राहू सक्रिय हुआ तो राहू ने उन्हें अचानक से बुलंदियों पर पहुंचा दिया ।

इसलिए काल सर्प दोष अगर आप की कुंडली में विराजमान है तो एकदम से घबड़ाएँ नहीं पहले उसका विश्लेषण कर लें कि वह आप के लिए शुभ है या अशुभ । अगर वह अशुभ स्थित में है तो उसकी पूजा करवाएँ उसके उपाय करें ।

अक्सर यह देखा गया है कि अगर किसी परिवार की एक कुंडली में काल सर्प दोष है तो परिवार के किसी अन्य सदस्य की कुंडली में भी Kaal Sarp Dosh पाया जाता है । kaal sarp dosh पिछले जन्म से ही आता है जब हम किसी ना किसी जन्म में नागों के प्रति पाप के भागीदार बने होते हैं ।

 

काल सर्प दोष शांति के स्थान / मंदिर :

अपने देश में बहुत से ऐसे स्थान या मंदिर हैं जहां पर विधि विधान से काल सर्प दोष शांति के लिए पूजा,हवन,जाप और अनुष्ठान कराये जाते हैं जिन भी लोगों को काल सर्प दोष की विशेष पीड़ा है वो इन स्थानों में जा कर काल सर्प दोष की शांति के उपाय कर सकते हैं । उन स्थानों मे से कुछ स्थान नीचे दिये जा रहे हैं ।

  • त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक
  • त्रिवेणी संगम प्रयागराज
  • त्रिनागेश्वर मंदिर जिला तंजोर
  • भूतेश्वर महादेव मंदिर नीमतललघात कोलकता
  • गरुणेश्वर मंदिर बड़ोदरा
  • नाग मंदिर जैतगाँव मथुरा
  • चामुंडा देवी मंदिर हिमांचल प्रदेश
  • काल हस्ती शिव मंदिर तिरुपति
  • महाकाल मंदिर उज़्जेन

काल सर्प दोष के उपाय :

  • काल सर्प दोष का सबसे अच्छा उपाय भोलेनाथ का रुद्राभिषेक है, काल सर्प से पीड़ित व्यक्ति को सावन मास में ऋद्राभिषेक अवश्य करना चाहिए ।
  • नाग नागिन का जोड़ा विधि विधान से पूजन कर गंगा जी में प्रवाहित करें ।
  • तीर्थराज प्रयाग में तर्पण और श्राद्धकर्म करें ।
  • राहू के हवन में दूर्वा का उपयोग अवश्य करें ।
  • शिवलिंग पर दूध और मिश्री अर्पित करें
  • मूली दान और बहते पानी में कच्चे कोयले को प्रवाहित करते रहने से काल सर्प दोष शांत होता है ।
  • मसूर की दाल और कुछ पैसे सुबह के समय सफाई कर्मी को शनिवार के दिन या बुधवार को दान दें

काल सर्प दोष दूर करने का 1 रामबाण उपाय ! :

नीचे एक नवनाग स्त्रोत दिया जा रहा है इसके नौ पाठ प्रतिदिन करने से Kaal Sarp Dosh से मुक्ति मिल जाती है ।

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।

शङ्खपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥

एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।

सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:॥

चलते चलते अपनी बात :

कुंडली में कोई जन्मजात दोष ऐसे ही नहीं आता वो हमारे पिछले जन्मों के कारणों से आता है । उसको शांत करने का कोई भी उपाय ऐसा नहीं होता जिससे आप को तुरंत मुक्ति मिल जाये । आप लोगों को इसके लिए लगातार पूजा,जप,तप नियम और संयम करने होते हैं तभी उसके प्रभाव धीरे धीरे कम होते जाते हैं इसलिए आप जो भी उपाय करें उसको लगातार करें और पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ करें ।

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