![Manas Ganga](https://sanaatanmandir.com/wp-content/uploads/2023/07/20230712_155653-300x169.jpg)
मानस वो गंगा है जो पाप धुलती ही नहीं बल्कि पापों से मुक्ति भी देती है । बस इसमें डुबकी गहरी लगानी पड़ती है ।
रामायण के बालकांड के प्रारम्भ में गोस्वामी तुलसी दास जी मंगलाचरण में सभी की वंदना करते हैं । रामायण का प्रारम्भ तुलसीदास जी श्लोक से करते हैं फिर गणेश जी की वंदना के लिए सोरठा का प्रयोग करते हैं ।
पहली चौपाई जो रामचरितमानस में लिखी गयी है वो गुरु पर लिखी गई है, इस लेख की भी पहली चौपाई वही है । गुरु को तुलसीदास जी ने बहुत महत्व दिया है, रामचरित मानस की कम से कम दस चौपाइयाँ उन्होने सिर्फ गुरु की महिमा पर लिखी हैं । तुलसीदास जैसे संत जानते थे वो सभी वेदों और पुरानो का सार लिखने जा रहे हैं यह दुष्कर कार्य बिना सद्गुरु के कृपा के संभव नहीं है ।
शायद ही किसी शास्त्र में इतना बड़ा मंगला चरण हो, तुलसी दास जी ने देव,दानव,मनुज,किन्नर,जड़,चेतन सभी की वंदना की है । ” बंदौ संत असज्जन चरना …..” उन्होने संतों के साथ ही असज्जनों की भी वंदना की है । असज्जन या दुष्टों की कृपा के बिना भी कोई शुभ कार्य सम्पन्न नहीं हो सकता उनके आते ही विघ्न प्रारम्भ हो जाते हैं इस लिए तुलसीदास जी ने उन असज्जनों की भी वंदना की है । जिस काल में यह रामायण लिखी गई है अगर उस समय देखें तो मुगलों का शासन था उस समय उनसे बड़े असज्जन कौन हो सकते हैं । उस काल में सनातनी हिन्दू, की क्या दशा रही होगी हम सब कल्पना ही कर सकते हैं ।
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रामचरितमानस की महिमा ;
इस महाग्रंथ की महिमा का वर्णन करना असंभव है । बड़े बड़े संत और व्याख्याकार लगातार इस पर लिखते रहे हैं प्रवचन करते रहे हैं मैं तो समान्य रामचरितमानस का भक्त ही हूँ । अगर एक बार आप क्रम से रामायण का पाठ करते हैं तो आप विश्वास मानिये मानस से आप जुडते चले जाएँगे । रामचरित मानस का सबसे बड़ी महिमा यही है की यह ईश्वर के प्रति प्रेम बढ़ाती है । जब एक बार आप ईश्वर के प्रेम में पड़ जाते हैं तो ना तो आप उस से निकलना चाहेंगे ना ही निकल पायेंगे ।
किसी का कितना भी बड़ा कष्ट हो आप को रामचरितमानस में उसका समाधान मिलेगा । आप विश्वास के साथ पढ़ना तो शुरू करें आप खुद संकल्प करें किसी भी विघ्न वाधा के लिए कितने दोहे रोज पढ़ेंगे । जो भी संकल्प लें उतने दोहे प्रतिदिन भोले बाबा को या बजरंग बली को सुनाएँ, फिर आपको अपना रास्ता खुद मिल जाएगा ।
जो लोग ब्लॉग से पहले से जुड़े हुए हैं या मुझे जानते हैं उन्हें मालूम है कि मैं ज्योतिष से जुड़ा हुआ हूँ । रामचरित मानस ज्योतिष के उपायों में भी काम आती है । शादी विवाह के बहुत से उपायों में से एक उपाय रामचरित मानस भी है । शिव पार्वती विवाह के कुछ दोहे या सीता राम विवाह के कुछ दोहे शादी विवाह की अड़चनों को दूर करते हैं । जिन जातकों की कुंडली में सूर्य अशुभ परिणाम दे रहा हो उनको भी रामचरितमानस का पाठ करना चाहिए । जिनकी लगन का मालिक सूर्य देव होते हैं उनके लिए रामचरितमानस रामबाण की तरह काम करती है । इसका आधार ये है कि भगवान राम खुद सूर्यवंशी थे ।
रामायण पर एक बार लिखना शुरू करो तो क्रम समाप्त ही नहीं होता,एक एक मोती जुड़ता चला जाता है । आज मैंने कुछ चौपाइयाँ रामचरितमानस की लेख में ली हैं । ये सभी चौपाइयाँ मंगलाचरण से ही हैं इस लेख को मानस गंगा की गंगोत्री समझिए गोमुख से निकलकर यह कितना विस्तारित होगी मुझे खुद नहीं मालूम ।
Balkand Ramayan Chaupai : बालकांड रामायण चौपाई
![Balkand Chaupai](https://sanaatanmandir.com/wp-content/uploads/2023/07/20230712_140324-300x169.jpg)
बंदऊ गुरु पद पदुम परागा ।
सुरुचि सुबास सरस अनुरागा ॥
रामायण चौपाई अर्थ सहित :
मैं गुरु महाराज के चरण कमलों की रज की वंदना करता हूँ , जो सुरुचि ( सुंदर स्वाद ) सुगंध तथा अनुराग रूपी रस से पूर्ण है ।
![Balkand Chaupai](https://sanaatanmandir.com/wp-content/uploads/2023/07/20230712_140646-300x169.jpg)
हरि हर कथा बिराजित बेनी ।
सुनत सकल मुद मंगल देनी ॥
रामायण चौपाई अर्थ :
की कथाएँ त्रिवेणी रूप से सुशोभित हैं जो सुनते ही सब आनंद और कल्याणों को देने वाली हैं ।
![Balkand Chaupai](https://sanaatanmandir.com/wp-content/uploads/2023/07/20230712_140921-300x169.jpg)
बिनु सत्संग बिबेक न होई ।
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई ॥
रामचरित मानस चौपाई अर्थ :
सत्संग के बिना विवेक नहीं होता और श्री राम जी के कृपा के बिना वह सत्संग सहज में मिलता नहीं ।
![Balkand Chaupai](https://sanaatanmandir.com/wp-content/uploads/2023/07/20230712_151632-300x169.jpg)
सीय राम मय सब जग जानी ।
करऊ प्रनाम जोरि जुग पानी
रामचरित मानस चौपाई अर्थ :
इस सारे जगत को श्री सीताराममय जानकर मैं प्रणाम करता हूँ ।
![रामायण चौपाई फोटो](https://sanaatanmandir.com/wp-content/uploads/2023/07/20230712_151817-300x169.jpg)
कबित रसिक न राम पद नेहू ।
तीन कन्ह सुखद हास रस एहू ।।
रामचरित मानस चौपाई अर्थ :
जो ना तो कविता के रसिक हैं और जिनका न रामचन्द्र जी के चरणों में प्रेम है,उनके लिए भी यह कविता ( रामचरितमानस) सुखद हास्य रस का काम देगी ।
![चौपाई फोटो](https://sanaatanmandir.com/wp-content/uploads/2023/07/20230712_152053-300x169.jpg)
मंगल भवन अमंगल हारी ।
उमा सहित जेहि जपत पुरारी ।।
रामचरित मानस चौपाई अर्थ
( श्री राम जी का नाम ) कल्याण का भवन है और अमंगलों को हरने वाला है, जिसे पार्वती सहित भगवान शिव जी सदा जपते रहते हैं ।
रामायण दोहा :
![रामायण दोहा](https://sanaatanmandir.com/wp-content/uploads/2023/07/20230712_152611-300x169.jpg)
बंदऊ संत समान चित हित अनहित नहिं कोइ।
अंजलि गत शुभ सुमन जिम सम सुगंध कर दोइ।।
Doha Hindi Meaning :
मैं संतों को प्रणाम करता हूँ,जिनके चित्त में समता है,जिनका ना कोई मित्र है और ना शत्रु । जैसे अंजलि में रखे हुए सुंदर फूल [ जिन हाथों ने फूलों को तोड़ा और जिन हाथों ने फूलों को रक्खा ] उन दोनों को समान रूप से सुगंधित करते हैं । वैसे ही संत,शत्रु और मित्र दोनों का कल्याण करते हैं ।
रामायण छंद :
![Ramcharitmanas Chand](https://sanaatanmandir.com/wp-content/uploads/2023/07/20230712_153939-300x250.jpg)
मगल करनि कलिमल हरन तुलसी कथा रघुनाथ की ।
गति कूर कबिता सरित की ज्यों सरित पावन पाठ की ॥
प्रभु सुजस संगति भनति भलि होएही सुजन मन भावनी ।
भाव अंग भूति मसान की सुमिरत सुहावनि पावनी ॥
Chand Hindi Meaning :
तुलसीदास जी कहते हैं कि श्री रघुनाथ जी की कथा कल्याण करने वाली और कलियुग के पापों को हरने वाली है । मेरे इस भद्दी कविता रूपी नदी की चाल पवित्र जल वाली नदी ( गंगा जी ) की भांति टेढ़ी है । प्रभु श्री रघुनाथ जी के सुंदर यश के संग से यह कविता सुंदर और सज्जनों के मन को भाने वाली हो जायेगी । शमसान की अपवित्र राख़ भी श्री महादेव जी के अंग के संग से सुहावनी लगती है और स्मरण करते ही पवित्र करने वाली होती है ।
चलते चलते : आज की बात ;
रामायण पर बहुत कुछ लिखा गया है बहुत कुछ कहा गया है । मेरा कुछ भी लिखना सूरज को दीपक दिखाने के समान है लेकिन मेरा रामचरितमानस के प्रति प्रेम कुछ ना कुछ लिखने को प्रीरित करता है, आगे भी जब श्री राम चाहेंगे तो और लिखूंगा ।
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F.A.Q
रामचरितमानस किसने लिखी है ?
रामचरितमानस गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखी है
रामचरितमानस में कितने कांड या सोपान हैं ?
रामचरित मानस में सात सोपान या कांड हैं ।
रामचरितमानस कब लिखी गई ?
रामायण का रचना काल सोहलवी शताब्दी का है ।
रामचरितमानस लिखने में कितना समय लगा ?
गोस्वामी तुलसी दास जी को रामचरितमानस लिखने में दो वर्ष सात महीने छब्बीस दिन लगे ।
रामचरितमानस कहाँ लिखी गई ?
रामचरितमानस की रचना तुलसीदास ने अयोध्या में की थी ।