क्या आप जानते हैं 9 गृह के नाम ( navagraha name ) उनका परिवार और उनके मंत्र

हिन्दू धर्म और सनातन संस्कृति में कोई भी पूजा तब तक सम्पन्न नहीं होती जब तक उसमें नवग्रह की पूजा ना हो, क्या आपको मालूम है उन 9 गृह के नाम ?

9 गृह के नाम के अलावा क्या आप जानते हैं कि उन ग्रहों का  परिवार,उनका वर्ण या उनकी जाति भी होती है,अगर हमें नवग्रह के बारे में यह सब जानकारियाँ होंगी तो हम उन ग्रहों के स्वभाव और उनके व्यवहार के बारे में अच्छे से समझ पाएंगे ।

आज हम इस लेख में 9 गृह के नाम के अलावा उनके मंत्र और उनके परिवार के बारे में भी जानेंगे ।

9 गृह के नाम :

सूर्य गृह : 

9 गृह के नाम : सूर्य देव
चित्र साभार सोशल मीडिया

9 गृह के के नाम में पहला नाम है सूर्य देव का ….

सूर्य ग्रहोंके राजा हैं। यह कश्यप गोत्रके क्षत्रिय एवं कलिंगदेशके स्वामी हैं। जपाकुसुमके समान इनका रक्तवर्ण है। दोनों हाथोंमें कमल लिये हुए हैं, सिन्दूरके समान वस्त्र, आभूषण और माला धारण किये हुए हैं। ये जगमगाते हुए हीरेके समान, चन्द्रमा और अग्निको प्रकाशित करनेवाले तेज तथा त्रिलोकीका अन्धकार दूर करनेवाले प्रकाशसे सम्पन्न हैं। 

सात घोड़ोंके एकचक्र रथपर आरूढ़ होकर सुमेरुकी प्रदक्षिणा करते हुए, प्रकाशके समुद्र भगवान् सूर्यका ध्यान करना चाहिये। इनके अधिदेवता शिव हैं और प्रत्यधिदेवता अग्नि। इस प्रकार ध्यान करके मानस पूजा और बाह्य पूजाके अनन्तर मन्त्रजप करना चाहिये।

सूर्य देव का मंत्र  है—‘ॐ ह्रीं ह्रौं सूर्याय नम:

चन्द्रमा गृह : 

9 गृह के नाम : चंद्र गृह
चित्र साभार सोशल मीडिया

9 गृह के नाम में दूसरा नाम है चंद्र देव का …….. । चंद्र देव  अत्रिगोत्रीय हैं। यामुन देशके स्वामी हैं। इनका शरीर अमृतमय है। दो हाथ हैं—एकमें वरमुद्रा है, दूसरेमें गदा। दूधके समान श्वेत शरीरपर श्वेत वस्त्र, माला और अनुलेपन धारण किये हुए हैं।

गले में मोतीका हार है। अपनी सुधामयी किरणोंसे तीनों लोकोंको सींच रहे हैं। दस घोड़ोंके त्रिचक्र रथपर आरूढ़ होकर सुमेरु पर्वत की प्रदक्षिणा कर रहे हैं। इनके अधिदेवता हैं उमादेवी और प्रत्यधिदेवता जल हैं।

इनका मन्त्र है— ‘ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:

मंगल गृह : 

9 गृह के नाम : मंगल गृह
चित्र साभार सोशल मीडिया

9 गृह के नाम में तीसरा नाम है मंगल देव का ….. । मंगल भारद्वाज गोत्रके क्षत्रिय हैं। ये अवन्तिके स्वामी हैं। इनका आकार अग्निके समान रक्तवर्ण है, इनका वाहन मेष है, रक्तवस्त्र और माला धारण किये हुए हैं। हाथोंमें शक्ति, वर, अभय और गदा धारण किये हुए हैं।

इनके अंग-अंगसे कान्तिकी धारा छलक रही है। मेषके रथपर सुमेरुकी प्रदक्षिणा करते हुए अपने अधिदेवता स्कन्द और प्रत्यधिदेवता पृथिवीके साथ सूर्यके अभिमुख जा रहे हैं।

मंगलका मन्त्र है—‘ॐ हूँ श्रीं मङ्गलाय नम:

बुध गृह : 

9 गृह के नाम में चौथा नाम है बुध देव का ….. । बुध अत्रिगोत्र एवं मगधदेशके स्वामी हैं। इनके शरीरका वर्ण पीला है। चार हाथोंमें ढाल, गदा, वर और खड्ग है। पीला वस्त्र धारण किये हुए हैं, बड़ी ही सौम्य मूर्ति है, सिंहपर सवार हैं। इनके अधिदेवता हैं नारायण और प्रत्यधिदेवता हैं विष्णु।

इनका मन्त्र है— ‘ॐ ऐं श्रीं श्रीं बुधाय नम:

बृहस्पति गृह : 

9 गृह के नाम में पाँचवाँ नाम है बृहस्पति देव का ….. । बृहस्पति अंगिरा गोत्रके ब्राह्मण हैं। सिन्धु देशके अधिपति हैं। इनका वर्ण पीत है। पीताम्बर धारण किये हुए हैं, कमलपर बैठे हैं। चार हाथोंमें रुद्राक्ष, वरमुद्रा, शिला और दण्ड धारण किये हुए हैं। इनके अधिदेवता ब्रह्मा हैं और प्रत्यधिदेवता इन्द्र।

इनका मन्त्र है—‘ॐ ह्रीं क्लीं हूँ बृहस्पतये नम:

शुक्र गृह : 

9 गृह के नाम में छठा नाम है शुक्र देव का … । शुक्र भृगु गोत्रके ब्राह्मण हैं। भोजकट देशके अधिपति हैं। कमलपर बैठे हुए हैं। श्वेत वर्ण है, चार हाथोंमें रुद्राक्ष, वरमुद्रा, शिला और दण्ड है, श्वेत वस्त्र धारण किये हुए हैं।

इनके अधिदेवता इन्द्र हैं और प्रत्यधिदेवता चन्द्रमा हैं।

इनका मन्त्र है—‘ॐ ह्रीं श्रीं शुक्राय नम:

शनि गृह : 

9 गृह के नाम : शनि देव
चित्र साभार सोशल मीडिया

9 गृह के नाम में सातवाँ नाम है शनि देव का …. । ये कश्यप गोत्रके शूद्र हैं। सौराष्ट्र प्रदेशके अधिपति हैं। इनका वर्ण कृष्ण है, ये कृष्ण वस्त्र धारण किये हुए हैं। चार हाथोंमें बाण, वर, शूल और धनुष हैं। इनका वाहन गृध्र है।

इनके अधिदेवता यमराज और प्रत्यधिदेवता प्रजापति हैं।

इनका मन्त्र है—‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नम:

राहु गृह : 

9 गृह के नाम : राहू केतू
चित्र साभार सोशल मीडिया

9 गृह के नाम में आठवा नाम है राहू देव का …. । राहु पैठीनस गोत्रके शूद्र हैं। मलय देशके अधिपति हैं। इनका वर्ण कृष्ण है और वस्त्र भी कृष्ण ही है। इनका वाहन है सिंह। चार हाथोंमें खड्ग, वर, शूल और ढाल लिये हैं।

इनके अधिदेवता काल हैं और प्रत्यधिदेवता सर्प हैं।

इनका मन्त्र है—‘ॐ ऐं ह्रीं राहवे नम:

केतु  गृह : 

9 गृह के नाम : राहू केतू
चित्र साभार सोशल मीडिया

9 गृह के नवें और अंतिम गृह हैं केतू देव ……। ये जैमिनी गोत्रके शूद्र हैं। कुशद्वीपके अधिपति हैं। इनका वर्ण धुएँ-सा है और वैसा ही वस्त्र भी धारण किये हुए हैं। मुख विकृत है, गीध वाहन है। दो हाथोंमें वरमुद्रा तथा गदा है।

इनके अधिदेवता हैं चित्रगुप्त तथा प्रत्यधिदेवता हैं ब्रह्मा।

इनका मन्त्र है—‘ॐ ह्रीं ऐं केतवे नम: 

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