खुद देखें अपनी कुंडली में संपत्ति योग,धन योग

आज जब मैं यह लेख लिख रहा हूँ तो धनतेरस का अवसर है,इसलिए आज के इस पावन दिन पर मैं ज्योतिष के एक विशेष योग की चर्चा करूंगा जिसे धन योग या संपत्ति योग कहा जाता है । लेख पर आगे बढ्ने से पहले पेज पर आने वाले सभी पाठकों को धनतेरस और दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनायें ।

आप सभी ज्योतिष प्रेमियों ने ज्योतिष के बहुत से योगों के बारे में सुना होगा उन्ही योगों में से एक योग होता है धन योग,यह योग कैसे बनता है आइये इस बारे में जानते हैं ।

धन योग के नियम :

द्वितीयेश और पंचमेश में स्थान परिवर्तन हो :

यदि कुंडली के द्वितीय भाव का स्वामी कुंडली के पांचवे घर में हो और पांचवे भाव का स्वामी कुंडली के दूसरे स्थान में हो तो धन योग बनता है ।

द्वितीयेश लाभ भाव में हो और लाभेश द्वितीय भाव में हो :

यदि कुंडली के द्वितीय भाव का स्वामी कुंडली के ग्यारवें घर में हो या ग्यारवें घर का मालिक कुंडली के दूसरे घर में हो तो धन योग बनता है ।

यदि पंचमेश या  नवमेश स्वग्रही हों :

यदि कुंडली के पांचवे भाव का स्वामी गृह अपने ही घर में हो या फिर नवें घर का स्वामी गृह अपने ही घर में स्थित हो तो धन योग बनने के कारण जातक को अपने जीवन काल में प्रचुर मात्रा में धन की प्राप्ति होती है ।

यदि लग्नेश,धनेश और लाभेश स्वगृही हों :

यदि लग्न का मालिक,द्वितीय घर का मालिक और ग्यारवें घर का मालिक अपने अपने घर में हों तो धन योग फलदायी होता है ।

यदि गुरु का संबंध द्वितीयेश और बुध से हो :

यदि देवगुरु ब्राहस्पति का युति या दृष्टि के द्वारा दूसरे घर के मालिक और बुध गृह से संबंध बनता है तो इसे भी धन योग माना जाएगा और यह योग भी जातक की धन में वृद्धि करवाएगा ।

यदि लाभेश और धनेश,लग्न भाव में स्थित हों :

यदि ग्यारवे भाव का स्वामी और द्वितीय भाव का स्वामी गृह लग्न में ही स्थित हो तो यह भी धन योग बनाता है और जातक को विशेष धन की प्राप्ति करवाता है ।

लाभेश किसे कहते हैं ?

कुंडली के ग्यारवें घर के मालिक गृह को लाभेश कहते हैं ।

धनेश किसे कहते हैं ?

कुंडली के दूसरे घर के मालिक गृह को धनेश कहते हैं ।

लग्नेश किसे कहते हैं ?

कुंडली के पहले घर के मालिक गृह को लग्नेश कहते हैं ।

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